२० सालों की २० सीखें
- 20 minutes read - 4194 words५ जुलाई २००४, वो समय जब में मैंने अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की। ये पिछले 20 वर्ष मेहनत और संतुष्टि से भरे रहे हैं।
जैसे की कहते है “सीखना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और जब हम सीख को किसी से साझा करते है तो ये और परिपक्व होती है”,
इन दो दशकों में मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिला, मैंने विभिन्न प्रोद्योगिक तकनीकियों में ५० से ज्यादा प्रोजेक्ट्स किये, विभिन्न संगठनों में विविध पृष्ठभूमि के हजारों लोगों के साथ सीधे काम किया। इन्ही अनुभवों से सीख के मेने 120 से अधिक लेख लिखे और जज, वक्ता, पैनलिस्ट, या अतिथि व्याख्याता जैसी भूमिकाओं में 60 से अधिक कार्यक्रमों में भाग लिया। मैंने इन प्रयासों के माध्यम से ५० हजार से अधिक व्यक्तियों को प्रभावित किया होगा।
कुछ किताबों स्वयं लिखी और कुछ की प्रस्तावना लिखी, और कुछ पेटेंट्स और पुरस्कार भी अर्जित किये। जैसे-जैसे समय बीतता जायेगा, ये आँकड़े जमा होते जायेगे, लेकिन अपने अतीत में झाकना, और उसे ध्यान में रख कर भविष्य में आगे बढ़ना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।
इस लेख में, मैं पिछले 20 वर्षों के 20 प्रतिबिंब प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्होंने मेरे जीवन को आकार दिया है, और ये मेरा आगे का मार्ग भी प्रसस्थ करेंगे, उम्मीद है ये आपके लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे।
1. एक शानदार शुरुआत…लेकिन नियति कही और
राष्ट्रीय प्रोद्योगिक संस्थान, कुरुक्षेत्र से पढ़ाई के बाद, मैंने, विनीत, विष्णु और कुछ दोस्तों के साथ खूबसूरत शहर चंडीगढ़ के पास क्वार्क मीडिया हाउस नामक कंपनी में काम करना प्रारम्भ किया। हमारा ऑफिस 5-सितारा सुविधाओं से भरपूर था: सुबह की शुरुआत जिम में होती थी, उसके बाद जबरदस्त नाश्ता, और काम के साथ-साथ फल, जूस से भरी पैंट्रीस और फिर उत्कृष्ट दोपहर के भोजन के विकल्प भी होते थे। शामें स्विमिंग पूल या खेल के मैदान में बिताईं जाती।
एक महीना कब बिता पता ही नहीं चला और अपनी पहली तनख्वाह से अपनी पहली मोटरसाइकिल खरीदी। Java और CORBA इंटरऑपरेबिलिटी जैसी तकनिकी काम करते हुए और सप्ताहांत पर आस-पास के हिल स्टेशनों पर जाना नहीं भूलते थे, इस तरह महीनो बीत गए और जल्द ही, हमने अपनी पहली कार्य वर्षगांठ मनाई।
जैसे-जैसे और समय बिता, मुझे भी बाकियों की तरह कुछ और सीखने, करने की लालसा बढ़ी, और मेने भी बाहर इंटरव्यू देना शुरू कर दिया। इस अवधि के दौरान, मैं रितु से मिला, और मुझे लगा कि चंडीगढ़ में आना तो एक अवसरमात्र था, मुझे मेरे जीवन साथी से मिलाने का, जबकि मेरी बाकि पेशेवर यात्रा तो कहीं और ही लिखी थी।
2. एक छोटा सा सयोंग बहुत आगे ले जाता है…बस इसे पहचाने
नए काम की खोज में मैं नगारो नामक कंपनी में एक साक्षात्कार के लिए गुड़गांव पहुँचा। कुछ तकनीकी दौरों के बाद, मेरी मुलाकात कंपनी के सह-संस्थापक से हुई, जिन्होंने मेरे कॉलेज में लड़कों और लड़कियों के हॉस्टल के पास की कैंटीन अपोलो और अपोली के बारे में पूछकर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। जल्द ही, मुझे एहसास हुआ, मैं अपने कॉलेज के पूर्व छात्र और स्वर्ण पदक विजेता विक्रम सहगल से बात कर रहा था। इस अप्रत्याशित संयोग ने मुझे अन्य विकल्पों को पीछे छोड़कर नगारो में शामिल होने के लिए प्रेरित किया, जो उस समय कुछ सौ कर्मचारियों वाली एक छोटी कंपनी थी।
क्वार्क के शानदार जीवन से नागरो के साधारण वातावरण में आना चुनौतीपूर्ण हो सकता था, पर शायद मेरे लिए नहीं, क्योंकि मैं उस स्तर की विलासिता का आदी नहीं था, और मेरी प्राथमिकता मेरी बहनो की शिक्षा में सहयोग और मेरे परिवार के ऊपर लाने की जिम्मेदारी थी। जिम्मेदारी की इस भावना ने मुझे उस समय दिशा और उद्देश्य दिया।
उस समय मुझे नहीं पता था कि मैं यहां लंबे समय तक योगदान दूंगा, आने वाले वर्षों में नगारो को कई गुना बढ़ने में मदद करूंगा।
3. अपनी नींव मजबूत करें और जिंदगी को मजे से जीयें
नगारो में भी मेरी अच्छी शुरआत हुयी, दीपक नोहवाल, अमित चावला और आशीष मनचंदा जैसे तकनीकी ज्ञाताओं के साथ काम करने का मौका मिला, जिन्होंने लगातार चुनौतीपूर्ण समस्याओं के हल कराने से मुझे प्रोत्साहित किया। इस समय के दौरान, मैंने Java, JVM को गहराई से अध्ययन किया, कई जटिल और मेहनत वाले पॉजेक्ट्स पर काम करते हुए सॉफ्टवेयर बनाने की कई तकनीकों में महारत हासिल की।
तमाम कड़ी मेहनत के बीच, हम मौज-मस्ती से कभी नहीं चूके। ये टीम कड़ी मेहनत करने और जमकर पार्टी करने में यकीन रखती थी। लगभग इसी समय, रितु ने भी अपनी इंजीनियरिंग पूरी की और गुड़गांव में एक अन्य कंपनी में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की। वह हमारी अधिकांश नगारो पार्टियों में शामिल हुईं, जिससे मेरी खुशी और सौहार्द्र बढ़ा, और हमे एक दूसरे को और जानने का मौका मिला।
4.कार्य और वैवाहिक जीवन में संतुलन
जैसे-जैसे मेरी काम की जिम्मेदारियाँ बढ़ी, वैसे-वैसे मेरे जीवन की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती गईं। शादीशुदा जिंदगी और कार्य के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन मेरे मामले में, रितु हमारी शादी के तुरंत बाद नागरो में शामिल हो गई और हम सहकर्मी बन गए। इस स्थिति ने हमारे लिए कार्य और जीवन के बीच ज्यादा फर्क नहीं था। हम एक साथ ऑफिस जाते, खाना खाते, देर तक एक दूसरे का इन्तजार करते, ऑफिस के कार्यकमों का साथ में आनंद लेते, और फिर साथ में घर आते।
इस दिनचर्या ने हमें खुद से साथ साथ अपनी नौकरियों पर अच्छी तरह ध्यान केंद्रित करने में मदद की। हमने अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ निभाते हुए कार्य और जीवन दोनों का एक साथ आनंद लिया। हमने अपनी बहनो की इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा में सहयोग करना जारी रखा और इसी दौरान एक बहन की तो मेडिकल शिक्षा पूरी होने के तुरंत बाद शादी भी हो गई, और हमने यहाँ भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।
खुले दिमाग रखकर और अपनी ज़िम्मेदारियों को अपनाकर, हमें आगे बढ़ने का एक सामंजस्यपूर्ण रास्ता मिल ही जाता है।
5. ज्ञान की गहनता से साथ इसका दायरा भी बढ़ाये
मुझे शरद नारायण जैसे लोगो से साथ काम करके मोका मिला, जिन्होंने मुझे लचीला बनने, सीमाओं से आगे बढ़ने और प्रौद्योगिकी, कार्य और जीवन में विविधता को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने इंजीनियरिंग तकनीकियों को व्यापक रूप से अपनाते हुए java के आलावा भी C++, PHP और अन्य टेक्नोलॉजी को सीखा, और काम किया। इससे मुझे 2009-10 में आईटी उद्योग में अपनी पहली मंदी से निपटने में मदद मिली।
इस अवधि में, मैंने खुद को एक टी-आकार पेशेवर के रूप में स्थापित किया, और कई जटिल प्रोजेट्स का नेतृत्व किया। मैं CICD, build scripts, ऑटोमेशन टेस्टिंग आदि बहुत पहले ही प्रोजेक्ट्स में लागु किया था।
कुछ ऐसे प्रोजेक्ट में भी काम किया जहाँ मुझे इंजीनियरिंग गणित की पाठ्यपुस्तकों को फिर से पढ़ने की आवश्यकता पड़ी, जब मुझे पीएचडी किये विशेषज्ञो से मिलना पड़ता था। इस जबरदस्त अनुभव ने मेरे दृष्टिकोण को कई दिशाओं में विस्तारित किया।
6. यात्रा के माध्यम से सांस्कृतिक अनुभवों को अपनाना
विभिन्न देशों और स्थानों की यात्रा करने से आपका दायरा बढ़ता है और आप विविध संस्कृतियों से परिचित होते हैं। मेरी पहली विदेश यात्रा एक सुखद अनुभव थी, विशेषकर बिजनेस क्लास में उड़ान भरना। मेरी अधिकांश शुरुआती व्यावसायिक यात्राएँ एक विमानन ग्राहक के लिए जर्मनी की थी, लेकिन में अपने सहकर्मियों के साथ यूरोप के विभिन्न हिस्सों में गया और जाना।
रितु और मैंने साथ में भारत के कई स्थानों की यात्रा की, पर हमारी एक साथ पहली विदेश यात्रा मलेशिया और लंकावी थी। हमने पाया कि यात्रा और पर्यटन हमें बहुत कुछ सिखाते है, लोगों और उनकी संस्कृतियों पर हमारे दृष्टिकोण का विस्तार करते हैं। इन अनुभवों ने हमारी विविधता और समावेशन के प्रति स्वीकार्यता को बढ़ाया।
7. तरक्की का एक नया रूप नया अनुभव
जीवन में तरक्की का नया ही रूप मिलता है जब आप माता-पिता बनते हैं। अपने पहले बच्चे लक्ष्य का हमारे जीवन में आना, हमारे लिए भी जिंदगी बदलने वाला था, अचानक से हमारे सारे विचार और प्राथमिकताएँ उसी के इर्द-गिर्द घूमने लगीं।
लक्ष्य के आने से हमे मौजूदा जिम्मेदारियों को निभाते हुए और नई जिम्मेदारी उठाने की ताकत मिली। इसी दौरान मेरी दूसरी बहन ने भी इंजीनियरिंग पूरी कर ली और उसकी भी शादी हो गई। व्यावसायिक रूप से, मैं संपन्न हो रहा था, कई टीमों और प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व कर रहा था, और दूसरों आगे बढ़ने में भी हर संभव मदद कर रहा था। नगरो में भी मेरे काम को अच्छी तरह पहचाना जा रहा था। इस व्यक्तिगत और व्यावसायिक तरक्की ने एक समृद्ध, संतुष्टिदायक जीवन देने का काम किया।
8. साथ लेके आगे बढ़ने का मैदान तैयार करना
हमने नगारो के JAVA तकनिकी पे काम करने वाले सदस्यों के लिए एक समुदाइक समूह की स्थापना की, जो लोगों के लिए मानकों के निर्माण, काम करने के तरीको में सुधार करने और प्रशिक्षण देने और नए काम लाने के लिए एक मंच बन गया। कई प्रतिभाशाली सहयोगियों के कई मुकाम हासिल किये। इस पहल ने मुझे प्रोजेक्ट्स से दायरे से बाहर जाके काम करने, ग्राहकों के लिए एक विश्वसनीय सलाहकार के रूप में उभरने का मौका दिया।
इस दौरान, मैंने आईटी ग्राहकों के यहाँ परामर्श किया और ईएसबी, बीपीएम और ओडीएम समाधानों सहित एंटरप्राइज जावा तकनिकी में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार किया। हमने इस एक समूह को सिखने और सीखाने के लिए समर्पित बनाया। इस अवधि ने मेरी साझाकरण यात्रा की अंतर्राष्ट्रीय सत्र पर शुरुआत JavaOne में सम्मिलित होकर हुयी। इन अनुभवों ने मुझे एक उत्तम सलाहकार के रूप में स्थापित किया।
9. उत्कृष्टता के साथ नवीनता को बढ़ावा देना
उपरोक्त तकनिकी समूह के नेतृत्व करने के अपने अनुभव के आधार पर, मैंने IoT और AR/VR जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए संगठन के भीतर नवीनीकरण केंद्र स्थापित करने की पहल का नेतृत्व किया। इस अवसर ने मुझे कृषि, पवन ऊर्जा, तेल क्षेत्र, बिजली संयंत्र, विनिर्माण और ऑटोमोटिव सहित सॉफ्टवेयर से परे विभिन्न तकनीकी में काम करने का मौका दिया।
हमने तकनिकी से जुड़े कामगारों और उद्योग 4.0 के उपयोगों से भरपूर कई नमूने विकसित किए, और कई ग्राहकों के प्रोजेक्ट्स किये। मैंने विभिन्न सम्मेलनों में भाग लिया और नमूने दिखाये, जिसमें गूगल की साझेदारी में फ्रांस में ग्लास कार्यक्रम शामिल हुए। इन समृद्ध अनुभवों ने मुझे उद्यमशीलता, नेतृत्व कौशल विकसित करने और मेरे पेशेवर विकास को आगे बढ़ाने में मदद की। में दुनिया भर में घुमा, पुराने दोस्तों से मिला और नए दोस्त भी बनाने, दुनिया के चरम मौसमो को महसूस किया। इसी दौरान हमारे बच्चे भी हमारी टीम की सैर पर मौज-मस्ती में शामिल होने लगे!
10. भौतिक संपदा महत्वपूर्ण है…लेकिन यह सब कुछ नहीं है
भौतिक संपदा अर्जित करना भी तरक्की का एक प्रतीक है, और बहुत संतुष्टि और स्थिरता प्रदान करती है, खासकर जब खुद का घर लेने की बात हो। जीवन की आपाधापी के बीच आखिरकार हमने गुड़गांव में अपना पहला घर लिया। ऑफिस, बच्चे की देखभाल और अपने नए घर को तैयार करने के बीच काम करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन महीनों के प्रयास के बाद, जब हम वहां रहने लगे तब इतनी मेहनत जायज लगी।
जल्द ही, हमने एक नई कार भी खरीद ली, यात्राओं का और भी अधिक आनंद लेने लगे। भौतिक संपत्ति से प्राप्त खुशी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह ख़ुशी स्थायी नहीं है। सच्ची संतुष्टि तो भीतर से आती है, यह सबक मैंने अपने गुरु से सीखा है। ये शिक्षा और भी प्रबल साबित हुयी जब एक अप्रत्याशित घटना घटी, जिसके बारे में मैं आगे बताऊंगा।
11. स्वास्थ्य जीवन ही…सबसे बड़ा धन
अक्सर हमें किसी चीज़ की अहमियत तभी पता चलती है जब हमारे पास उसकी कमी होती है। जब मुझे पॉट्स स्पाइन हुआ, जो रीढ़ की हड्डी की टीबी ही है, जिसमे हड्डिया गलने लगती है, तब मुझे मेरी सारी उपलब्धियां, तरक्की और भौतिक संपत्ति महत्वहीन लगने लगी। मुझे ये बीमारी हुयी, विश्वास करना कठिन था क्योंकि मेरा एकमात्र लक्षण छींकने या खांसने के दौरान तीव्र पीठ दर्द था जो तुरंत ठीक भी हो जाता था, काफी समय तक तो मेने नजरअंदाज भी किया।
कई बड़े से बड़े हड्डी विशेषज्ञ डक्टरों को दिखाया, पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला। महीनों बाद एक छोटे अस्पताल में बुखार के इलाज के लिए गया, तब वहां के सामान्य चिकित्सक कई और परीक्षण करने पर जोर दिया। जो उन्होंने पाया वो चौंकाने वाला था और उन्होंने मुझे तुरंत अस्पताल में भर्ती हो जाने को कहा। रातोंरात, मैं हड्डी की टीबी के इसके उपचार से अच्छी तरह वाकिफ हो गया, मैंने कई और जगह से निदान की पुष्टि के लिए कई राय भी मांगी। बस फिर में सारा काम छोड़कर, मैं खुद गाड़ी चलाकर अस्पताल गया और 15 दिनों के लिए भर्ती हुआ, बहुत तेज दवाइया चली, और इसके बाद में इतना कमजोर हो गया की मैं मुश्किल से चल पा रहा था। मुझे दो महीने तक बिस्तर पर आराम करने, एक साल तक टीबी की दवा लेने, कमर पे रीड का सपोर्ट बेल्ट और उच्च प्रोटीन आहार लेने की सलाह दी गई।
मुझे काम करने की आदत थी, और अचानक बिस्तर आ जाना और कुछ भी ना करना मेरे लिए बहुत ही कठिन था। उपचार भी इतना लंबा था कि मैं अक्सर सवाल करता था कि क्या मैं वास्तव में ठीक भी हो रहा हूँ। शुक्र है, मुझे अपने परिवार और नागारो से जबरदस्त समर्थन मिला। विकास बर्मन को विशेष धन्यवाद, जिन्होंने मेरा अच्छा मार्गदर्शन किया, उन्होंने तो इस गंभीर बीमारी को मुझसे भी बुरी स्थिति में जा के हराया था। उन्होंने मेरा ठीक होने में विश्वास को बनाये रखा।
इस अध्याय ने मुझे सिखाया कि सच्चा धन तो स्वस्थ जीवन ही है और इसका ख्याल रखना हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए।
12. विशेष ज्ञान से पहले सामान्य ज्ञान
मेरे डॉक्टर ने इस बात पर जोर दिया कि एक सामान्य चिकित्सक पहले दिखाने से हमें व्यापक समझ मिलती है और जरूरत पड़ने पर ही हमें किस विशेष चिकित्सक के पास जाना है का भी सही मार्गदर्शन मिलता है। इसने सीख ने मुझे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने से पहले एक सामान्यवादी बनने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया।
ठीक होने के दौरान, मैंने ज्ञान की गहराई बनाए रखते हुए अपने ज्ञान का दायरा भी बढ़ाया। महीनों तक स्पाइन सपोर्ट बेल्ट पहनने के बावजूद, मैं मौज-मस्ती, ऑफिस या घर के कार्यक्रमों से नहीं चूका। मैंने उमंग गर्ग के साथ IoT/ARVR नवीनीकरण केंद्र का नेतृत्व करना जारी रखा, आईटी क्षेत्र के ग्राहकों को नए तोर तरीको पर नमूने बना के दिखाए। जब में मिरोसॉफ़्ट होलोलेंस और गूगल ग्लास का उपयोग लोगो तो बताता था, तब अक्सर मेरे सपोर्ट बेल्ट पहने एक सुपरहीरो जैसा दिखता है। जैसे जैसे में और ठीक हुआ, मेने यात्रा करना भी शुरू कर दी।
मेरे आस-पास के लोगों के समर्थन और हास्यप्रद माहौल ने इस चुनौतीपूर्ण समय को भी आनंददायक बना दिया और स्वास्थ्य और पेशेवर विकास दोनों में व्यापक परिप्रेक्ष्य के मूल्य पर प्रकाश डाला।
13. बड़ी भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ अपनाना
मैंने प्रौद्योगिकी निदेशक की भूमिका निभाना शुरू किया और साथ एक बहुत ही जटिल एयरलाइन का प्रोजेक्ट पूरा करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी ली। जहाँ AI और मशीन लर्निंग जैसे गहन काम किये
ये प्रोजेक्ट का काफी बड़ा था, इसके लिए 200 से अधिक माइक्रोसर्विसेज के प्रबंधन की आवश्यकता थी, जिन्हें दिन-रात सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करने और कम समय में कई गीगाबाइट डेटा प्रोसेस करने की आवश्यकता थी। इस भूमिका ने मुझे क्लाउड-नेटिव आर्किटेक्चर का गहरा अनुभव मिला और कई चुनौतियों पर काम करने का अवसर मिला, कुछ मुख्य सबक यहां पढ़े ।
इस अनुभव ने मुझे आगे आने वाली और भी बड़ी जिम्मेदारियों के लिए भी तैयार किया।
14. साथ बढ़ें और साथ जिए जिंदगी
मेरी पत्नी, रितु, भी नागरो में अपने करियर में आगे बढ़ रही थी और उसका पहली बार काम सिलसिले में जर्मनी जाना हुआ। बाद में मैं अपने बेटे के साथ वहां गया, जो बेटे की पहली हवाई यात्रा थी, हमने एक यादगार यात्रा यूरोप घुमा।
हमने कोशिश की कि मित्रों और परिवार के साथ जुड़ने के कोई अवसर न गंवाए। अवसर बनते गए, और हमें अपने दूसरे बच्चे लोवयांश के आगमन को सबके साथ मनाया। मैं एक कस्टमर के साथ एक काम के सिलसिले में बहार गया था जब मुझे खबर मिली और मैं अपने परिवार में इस नए सदस्य से मिलने के लिए जर्मनी से तुरंत घर की यात्रा पर आया और जल्दी ही वापस चला गया।
जीवन तेजी से बदल रहा था, रास्ते में नई खुशियाँ और चुनौतियाँ ला रहा था।
15. परिवर्तन ही सच है
जैसे-जैसे जीवन आगे बढ़ा, हमें एहसास हुआ कि तरक्की के लिए अक्सर कुछ त्याग भी करना परता है। बच्चों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता जान पड़ने पर, रितु ने एक एक लम्बा मातृत्व अवकाश लिया पर जब वो भी हम दोनों के लिए कम पर गया उसने कुछ समय के लिए घर और बच्चो की देखभाल पर ही ध्यान केंद्रित किया, और नौकरी कुछ समय के लिए छोड़ दी।
जैसा कि कहा जाता है, “एक बदलाव कई और बदलाव ले आता है।” नागरो में लंबे कार्यकाल के बाद, मुझे बदलाव महसूस हुआ, जिसे मेने यहाँ लिखा है, में भी आराम क्षेत्र से बाहर निकल कर नए आयाम तलाशने लगा।
इसने खोज ने मुझे थॉटवर्क्स पहुंचाया, जो एक प्रेरक विचारधारा, इंसान और इंसानियत पर केंद्रित दृष्टिकोण रखने वाली कंपनी के रूप में जानी जाती थी, यहाँ पद से ज्यादा सामाजिक मूल्यों से लोग प्रभावित थे। सामुदायिक योगदान, लोकतांत्रिक निर्णय लेने जैसे कई आकर्षक बातों से मुझे इस और खींचा।
मैं यह देखने के लिए उत्सुक था कि ये मूल्य सुनने में अच्छे है पर व्यवहार में कैसे काम करते हैं और मुझे विश्वास था कि ये बदलाव मेरे लिए खुद को नए शीरे से देखने का मौका था।
आगे दिए विचारों को पढ़ के आप पता चलेगा की कैसे यह कदम मेरे लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।
16. उद्देश्य समझें, स्वयं को और जाने
शुरुआत में मैंने कई कार्यालयों का दौरा किया, लोगों से मुलाकात की और थॉटवर्क्स के उद्देश्य के बारे में जाना। इस तल्लीनता ने मुझे बहुत कुछ सीखने और इसकी संस्कृति की गहरी समझ प्रदान की।
मैंने देखा यहाँ कई लोग अंदर या बाहरी जनता के साथ कुछ न कुछ ज्ञान बांटते थे, कोई लेखक तो कोई वक्ता बन कर। जिसने मुझे भी प्रेरणा मिली, में किताबे पढने लगा, खासकर अपने साथियों के द्वारा लिखी किताबें और उनकी समीक्षा या मेरी अपनी सीख लिखने लगा। और इसी के चलते मैंने अपना ब्लॉग लिखना शुरू किया thinkuldepp.com।
शुरुआत में थॉटवर्क्स मेरा परीक्षण कर रहे थे और में थॉटवर्क्स का। मैं अपने माइक्रोसर्विसेज ज्ञान को अपने पहले प्रोजेक्ट, एक एंटरप्राइज़ ब्लॉकचेन प्लेटफ़ॉर्म के निर्माण में, अच्छे से लागू किया। लोगो का साथ मिला और मैंने जल्दी ही सामुदायिक कार्यकर्मो में भाग लेना शुरू कर दिया और अपना सीखा ज्ञान लोगो के साथ ब्लोग्स के रूप में बाँटना शुरू कर दिया।
मुझे यहाँ आके लगा की मेने अब इतनी यात्राएं बाहर की परन्तु भारत की यात्राये बाकि थी जो यहाँ आके की, और भारत की संस्कृति को और अच्छी तरह से जाना, और मैं अपने और अपने परिवार को भी अधिक समय दिया।
17. अपनी प्रभावशाली कहानियाँ गढ़ना
थॉटवर्क्स की संस्कृति ने मुझे आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त मौके दिए। मैंने इनके की इंजीनियरिंग पद्धतियों सीखा और अपनाया। मैंने एआर/वीआर में काम करने के इच्छुक लोगों का एक समुदाइक समूह बनाया राजू or नील जैसे लोगों की मदद से, जिन्होंने मेरे साथ साथ कई लोगों में तकनीकी ज्ञान बांटा, कई प्रतियोगितााओं में हिस्सा लिया। मैंने अपने लेख “दो विचारशील वर्ष” में अपने परिवर्तनकारी अनुभवों का उल्लेख किया है।
मैंने विभिन्न नेतृत्व प्रशिक्षण में भाग लिया, और सीखा की कैसे में अपनी छाप थॉटवर्क्स के भीतर और बाहर छोड़ सकता हूँ । इसी विचार-विमर्श ने मुझमें मानवीय व्यवहार, पूर्वाग्रहों से बचने की गहरी समझ पैदा हुयी और शांति से जीवन जीने की भावना पैदा हुयी। मैंने इन परिवर्तनों को प्रभावशाली परिवर्तन की कहानियाँ में विस्तृत विवरण किया है।
हमने यूनिटी, c#, और एक्सआर डेवलपमेंट सीखा, और ज्ञान बाँटने के लिए एक्सआर प्रैक्टिसेज पब्लिकेशन की स्थापना की, और थॉटवर्क्स इनसाइट्स पर भी लिखा। हमारे प्रयासों को हमारे ग्राहकों ने भी सराहा। हमने उच्च प्रदर्शन वाली टीमें बनाने में उत्कृष्टता हासिल की। ऐसे प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करना हमेशा फायदेमंद रहा है ।
18. विपरीत परिस्थितियों के बीच अवसर तलाशना
अवसर अक्सर सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से उत्पन्न होते हैं, और इसका उदाहरण कोविड-19 महामारी से अधिक कुछ नहीं है। लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और अपनी दिनचर्या पीछे छोड़नी पड़ी, अपने रास्ते में आए बदलावो को स्वीकार करना पड़ा चाहे वो हमे पसंद हो या नहीं।
मैंने इसे बदलाव के वर्ष के रूप में देखा - एक ऐसा परिवर्तन जिसे जीवन भर याद रखा जाएगा - और मेने इसके आने के उद्देश्य को सकारात्मक यादें बनाना ही समझा. हमने दूर रह कर भी साथ में जश्न मनाने लगे, घर से काम करना। इसी दौरान में अपने मूल स्थान से काम करने लगा, अपने माता-पिता और परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताया। यह एक मर्मस्पर्शी अनुभव था, मेने अपने आप को इस कठिन समय में भी व्यस्त रखा, जहाँ जन्मे वहां प्रकृति के बीच साइकिल चलाना और घर का नवीनीकरण करना, नए आविष्कारों की खोज आदि। हमने अपनी शादी के दृश्यों को दोबारा बनाकर अपनी शादी की सालगिरह भी मनाई।
इस अवधि ने हमें बदलाव को स्वीकार करना सिखाया, भले ही यह कठिन हो, नए समय में नए तरीके खोजे। हम सब छिपी हुई प्रतिभाओं को उजागर कर रहे थे और हमें एहसास हुआ कि हम जितना सोचते है उससे कही अधिक कर सकते हैं।
19. सब बीत जाना है…अच्छा या बुरा
हम कोविड के बाद की दुनिया के लिए तैयार हो रहे थे, ध्यान उद्यमों को महामारी झेलने के लायक बनाने पर केंद्रित किया। मैं अपने कार्यस्थल गुरुग्राम लौट आया, और फिर से कोविड की लहर का सामना करना पड़ा, पर इस बार, हम बेहतर रूप से तैयार थे और अपनी क्षमता पहचानने लगे थे।
मैंने सामुदायिक योगदान को बढ़वा दिया, छात्रों और विश्वविद्यालयों के लिए तकनिकी ज्ञान से ऑनलाइन कार्यकर्मो का आयोजन किया, और प्रौद्योगिकी, व्यवसाय और नेतृत्व में अपने कौशल को बढ़ाया। मेरे लेख और योगदान इकोनॉमिक टाइम्स, Tech.de, थॉटवर्क्स इनसाइट्स, नास्कॉम NASSCOM, XConf, SIH, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसे प्रसिद्ध प्लेटफार्मों में प्रदर्शित हुए।
दिनकर चारक और सचिन जैसे विशेषज्ञों के साथ काम करके मैं भी एक्सीडेंटल प्रोडक्ट मैनेजर बन गया, हमने 4KM, EEBO जैसे विषयो पर कई चर्चा की। इसने मेरे तकनीकी कौशल को समृद्ध किया और मुझे टेक@कोर वाले बिजनेस व्यक्तित्व में निखारा।
महामारी के बाद जैसे-जैसे दुनिया खुलनी शुरू हुई, हमने भी ताज और आसपास की पहाड़ियों पर दस्तक दी। इस अवधि में मेरे पिता सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त, जिन्होंने अपने कामकाजी जीवन से कई सबक दिये। इस अवसर पर मैंने गुड़गांव में एक नया, बड़ा घर उन्हें समर्पित किया। इस नए घर को बनाने की प्रक्रिया ने कॉर्पोरेट सबक प्रदान किये, जो अपने आप में विकास और अनुकूलन का एक और अध्याय है।
20. एक पेशेवर लेखक और प्रर्वतक के रूप में प्रौद्योगिकी जगत को निर्देशित करना
दुनिया अब कोविड महामारी से आगे निकल चुकी है, लेकिन इसका प्रभाव अभी भी बना हुआ है। कुछ लोग काम करने के पुराने तरीकों पर लौटने के लिए संघर्ष कर रहे है और कुछ हाइब्रिड मॉडल अपनाने पे, जबकि कुछ अन्य काम के लाये तरीको को इजाद करने में। ये नए तरीके ही है जो काम के माहौल में बेहतर विविधता और समावेशन ला रहे हैं, मेरी पत्नी ने डिज़ाइनर्सएक्स नामक कंपनी में घर रह कर काम प्रारम्भ किया, जो इन नए तरीको से संभव हो पाया है।
मुझे सुमीत मोघे के साथ काम करते हुए, थॉटवर्क्स गुरुग्राम इंजीनियरिंग सेंटर के लिए इंजीनियरिंग निदेशक की अतिरिक्त भूमिका निभाने का अवसर मिला। सुमीत जो async-agile से काम करने और कराने में माहिर है, उनकी पुस्तक ‘द एसिंक-फर्स्ट प्लेबुक’ एक उत्कृष्ट कृति है। इस अनुभव ने मेरी कई स्थापित मान्यताओं को चुनौती देते हुए नए काम करने के तरीको का अभ्यास दिया। इस बदलाव ने मुझे व्यस्त रहते हुए काम करने के बजाय मूल्यवान काम करने को बढ़वा दिया। मैंने सीखा कसे अच्छी आदत को बढ़ावा देते है, और काम को ध्यान मगन होक करते है।
इन अनुभवों ने मुझे अपना समय कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद की, मने इन सब विचारों के ऊपर एक पुस्तक, “माई थॉटवर्किंग्स” लिखी, और उसके बाद बीपीबी प्रकाशक के साथ “एक्सप्लोरिंग द मेटावर्स : डिजिटल युग में वास्तविकता को फिर से परिभाषित करना” नामक किताब लिखकर मैं एक पेशेवर लेखक भी बन गया, जो अब अमेज़ॅन और बीपीबी ऑनलाइन पर उपलब्ध है। मैं 100 लेखों और 50 कार्यक्रमों में योगदान देने का लक्ष्य भी पूरा किया, मेने लिखा कि अपनी बाधाओं को कैसे दूर करें। मैंने मेरे आविष्कारिक काम के लिए एक पेटेंट भी अर्जित किया। ये उपलब्धियाँ अविश्वसनीय रूप से संतुष्टिदायक रही हैं और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
अब आगे क्या?
इसके साथ, मैं पिछले 20 वर्षों के कार्य पर अपने 20 सीख समाप्त करता हूँ। आगे क्या? वैसे भविष्य तो सभी के लिए अनिश्चित ही होता है। हमें अपनी अगली सांस के बारे में भी 100% निश्चित नहीं होता और योजनाएँ जरूर हम बड़ी बड़ी बना लेते है। कुछ भी स्थायी नहीं है - ना हम, ना हमारे आस-पास की चीज़ें, ना कोई तकनीक, व्यवसाय, कंपनी या हमारे द्वारा किया जाने वाला कार्य। समय के साथ सब कुछ बदल जायेगा. आज, हम एआई का उपयोग करने के तरीके सीख रहे है, और कल, एआई यह पता लगाएगा कि हमें कैसे उपयोग करना है। प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक रहना और इसका जिम्मेदारीपूर्वक और नैतिक रूप से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। वर्तमान में पूरी तरह से जीना ही बेहतर भविष्य की आशा करने का सबसे अच्छा तरीका है।
वैसे, अब मैं अपने पड़-नानाजी के जीवन पर आधारित एक और किताब “जगजीवन: जीवन से बढ़कर जीना” लिख रहा हूं। मेरा मानना है कि उन्होंने जीवन को भरपूर जिया और हम उनसे जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
संपर्क में बने रहें! धन्यवाद
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