पिता की सेवानिवृत्ति पर उनके जीवन से कुछ सबक
- 8 minutes read - 1642 wordsमैंने thinkuldeep.com की शुरुआत इस बात को ध्यान में रखते हुए की थी कि हम जीवन की हर परिस्थिति में हर दिन सीखते हैं, चाहे अच्छा हो या बुरा। हमारी सीख साझा करने से परिपक्व होती है, हम इसे दूसरों को देकर हम और अधिक सीखते हैं।
हाल ही में मेरे पिता ने जीवन के 60 वर्ष पुरे किये है, और सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत्त हुए हैं। 60 साल काफी बड़ा अनुभव होता है, जिसमें से उन्होंने लगभग 38 साल राजस्थान सरकार की सेवा में बिताए। हम उनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं, खासकर युवा पीढ़ी जो पैसे और पद के पीछे भाग रही है, और हर कुछ वर्षों या महीनों में नौकरी बदलते हैं। रूटीन 9 से 5 जॉब बनाम कॉरपोरेट रेस जो हम दौड़ रहे है, इनमे काफी अंतर है, दोनों का अपना-अपना पक्ष हैं। मुझे नहीं पता की में कभी अपने लिए सेवानिवृत्ति का जश्न मनाऊंगा जैसा कि हमने अपने पिता के सेवानिवृत्ति दिवस के लिए मनाया है। मैंने उनके लिए सेवानिवृत्ति दिवस भाषण में उनके जीवन पर कुछ अपने कुछ विचार साझा किए थे। मैं इस लेख में यहां संक्षेप में उन्ही को साझा कर रहा हूं।
मेरे पिता के कामकाजी जीवन पर मेरे विचार
मेरे पिता, श्री बनवारी लाल जी ढुंढाड़ा, राजस्थान सरकार के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग (वाटरवर्क्स) में एक क्लर्क के रूप में सेवा से सेवानिवृत्त हुए हैं। जैसा कि उनके सहयोगियों ने सेवानिवृत्ति के दिन बताया कि उन्होंने कड़ी मेहनत की और ईमानदारी, निरंतरता, प्रतिबद्धता के साथ लोगों की सेवा की, उनके सामने जो काम आया बिना हिचकिचाए मन से किया। उन्होंने रोज़ी रोटी के लिए कई काम किये बस -कंडक्टर, पंप ड्राइवर से लेकर क्लर्क और किसान तक। उनके पास अलग-अलग कार्यों का समृद्ध अनुभव है। मैं अपने पिता से बहुत कुछ सीखता हूं। जिस तरह से उन्होंने हमे पढ़ाया, परिवार, घर, खेतों को संभाला, ये बहुत ही प्रेरणादायक है। अपनी जरूरतों को कम रखते हुए हमें डॉक्टर और इंजीनियर बनाया।
सेवानिवृत्ति दिवस के भाषण के कुछ अंश नीचे दिये गए वीडियो में देखे।
मैंने उनके जीवन से जो बहुत सी चीजें सीखीं, उनमें से 3 चीजें को आगे के अध्याय में बता रहा हूँ, जिनका मैं बहुत बारीकी से अनुशरण करता हूं
बरकत की कमाई करना
हमें बचपन से सीखाया गया है कि मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया धन हमेशा बरकत लाता है और ऐसा धन हमें हमेशा विकास के पथ पर लगता है। मेरे पिता ने अपने पूरे कामकाजी जीवन में यही किया। उन्होंने ईमानदारी और मेहनत से लोगों की सेवा की।
यह पाठ मुझे बहुत पहले सीखने को मिला जब मैं 8वीं कक्षा में था। एक बार मैं अपने पिता के कार्यालय में गया, और पाया कि वहां लोगों के पानी की खपत के आंकड़ों को रखने के लिए बड़े-बड़े बहीखाते थे। उन बहीखातों की जिल्द चढ़ाने का काम किसी बाहरी विक्रेता को दिया जाता था। मैं जिल्द चढ़ाना बहुत अच्छी तरह जानता था, और मैंने अपने पिता से पूछा कि क्या वह मुझे अपने अधिकारी से मिलवा सकते है, जिनको मैंने काफी किफायती प्रस्ताव दिया। सौभाग्य से मुझे कुछ जिल्द चढ़ाने का काम मिल गया। मैंने अपनी बहनों की मदद से इस काम को और आगे के कामों को पूरा किया, और वह दिन आया जब मेरे पिता को हमारे काम के लिए 1200/- रुपये मिले। संयोग से, उसी दिन, मेरे पिता ने शहर में हमारे पहले घर के लिए जमीन बुक की, और उसकी जेब में वही 1200/- रूपये थे, जिनको उन्होंने साई के रूप में दिया। मुझे वह घटना हमेशा याद रहती है की कैसे ईमानदारी से कमाया गया धन समृद्धि लाता है। इसके बाद हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे ही बढ़ रहे हैं। मेरे पिता हमेशा मुझे उस बरकत के धन को अर्जित करने के लिए प्रेरित करते हैं।
सही का साथ देना
सही रास्ता चुनना जीवन में एक चुनौतीपूर्ण काम है, जब किसी के पास सही वातावरण और सही लोगों का साथ न हों। उस रास्ते पर चलना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है जब आपके पास प्रोत्साहन न हो। लोगों के पास कम अनुभव और नकारात्मक अनुभव की वजह से वो कई बार सही रास्ते चलने वाले को भी रोकते है, और अपने असफल उदाहरण साझा करते रहते हैं। मेरे पिता ने ज्यादातर अपना जीवन एक गांव या छोटे शहर में ही बिताया है।
अपने आस-पास के लोगों से निराशा के बावजूद, मेरे पिता अपने चुने हुए सही रास्ते पर रहे। पहली बात जिस पर मेरे पिता दृढ़ रहे, वह थी मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने देना। लोगों ने उनके सामने कई उदाहरण दिए कि आगे पढ़ाई करने से बच्चे खराब हो जाते है और वो काम नहीं करते, खासकर जब वे नाना-नानी के प्रभाव में रहते हैं, तो उनका प्यार उन्हें और बिगाड़ देता है। मैं भी उस तरह का बच्चा था, लेकिन मेरे पिता ने उन सभी अवांछित मार्गदर्शन को नजरअंदाज किया, और मुझे अपने जुनून का पालन करने दिया। और मुझे इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा शहर जाने की अनुमति दी। मैं अपने नानाजी के साथ अपने स्थान से लगभग 800 किमी दूर एक नई यात्रा शुरू करने के लिए निकल गया। मुझे यकीन है कि मेरे पिता को कोटा शहर में मेरे बिगड़ने जाने की चिंता थी, पर उन्हें कभी जाहिर नहीं की। हालाँकि एक पिता ही वही चिंता मेरे लिए अपने पथ पर केंद्रित रहने और सफल होने के लिए एक प्रेरणा थी।
मेरे पिता के लिए अगली चुनौती मेरी बहनों को पढ़ने देंने की थी, वे भी अपनी पढ़ाई में अच्छी थी, और उन्होंने इसे साबित भी किया। उनकी कहानी मेरे पहले के लेख में यहाँ देखे । लोगों का हताशा यहीं नहीं रुकी, उन्होंने मेरे पिता से कहा कि इन इंजीनियरों - डॉक्टरों के लिए सही जीवनसाथी मिलना बहुत मुश्किल होगा। वो मजबूत रहे और लोगों की राय फिर गलत साबित हुई, हम सभी ने अपने जीवन साथी पाए जो कई मायनों में हमसे बेहतर ही पाए।
ये उदाहरण मुझे सही रास्ते पर बने रहने के लिए मजबूत बनाते हैं। हमेशा कुछ बाधाएं और निराशाएं भी आती है, लेकिन मैं अपने पिता की तरह मजबूत रहने की कोशिश करता हूं और सत्य के मार्ग से जुड़ा रहता हूं जिसे मैंने चुना हो।
जमीन से जुड़े रहना
मेरे पिता जमीन से जुड़े इंसान हैं, वह अपने जीवन से सीखाते हैं कि कोई भी काम छोटा काम नहीं होता, बस हमारे विचार ही हमें छोटा बनाते हैं। यह मायने नहीं रखता कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं लेकिन आप अपने बारे में क्या सोचते हैं यह मायने रखता है। उन्होंने इतना कुछ हासिल कर लिया है कि कोई और होता तो भी आसानी से अपनी जीवन शैली बदल लेता। कभी-कभी लोग सफलता में इतना खो जाते है अपना अतीत भी भूल जाते हैं। उन्होंने हमे डॉक्टर और इंजीनियर बनाया है, और अब वह आसानी से जीवन में अच्छा का जीवन वहन कर सकता है। पर जब मैं अपने पिता को देखता हूँ। पर जब से मेने समझ पकड़ी है मेने अपने पिता में कोई बदलाव नहीं पाया वो ठीक उसी उसी तरह जैसे वो पहले थे। वह अब भी नियमित जरूरतों के लिए साइकिल या पैदल या कुछ सार्वजनिक परिवहन पसंद करते है, और खेती करके खुश रहते है, जबकि हम बच्चे कारों पर दौड़ रहे हैं, दुनिया भर में उड़ रहे हैं, और मेट्रो शहरों में रह रहे हैं। उन्हें जीवन में क्या हासिल किया, उन्होंने अपने आप कभी नहीं बताया, वो तो बस एक सरल जीवनयापन से दिखाते हैं कि उन्होंने क्या हासिल किया।
मुझे लगता है कि हम खुद अपने जीवन को मुश्किल बनाते हैं। जब मैं अपने पिता की जीवन शैली को देखता हूं, तो वह मेरी तुलना में बहुत सरल है (हालांकि मैं उनका अनुसरण करने की कोशिश करता हूं, और इसे यथासंभव सरल रखता हूं)। वह जो उपलब्ध है, उसके अनुकूल हो जाते है, उनकी कोई विशेष माँग नहीं होती; जो पकाया जाता है वह खा लेते है - गर्म या ठंडा, जहां जगह मिल जाये वही सो जाते है, जो मिल जाये पहन लेते है, जो मिल जाये उससे यात्रा कर लेते है, उन्हें जहाँ जीवन के जाये वो आसानी से चले जायेंंगे। वह बिस्तर पर जल्दी जाना और जल्दी उठना पसंद करते है, और अपने दिन-प्रतिदिन के कामों के लिए दूसरों को परेशान नहीं करते।
मुझे ऐसा लगता है, वह “चिंता क्यों करें?” की अवधारणा का पालन करते है। अपनी चिंता को कम करने के लिए - यहां क्लिक करें।
बचपन में, मैंने एक टीवी विज्ञापन में एक लाइन सुनी थी की “सरलता में ताकत है”, ये लाइन मेरे पिता के लिए अच्छी तरह से लागु होती है । मैं भी इसका बारीकी से पालन करता हूं। सीखना एक कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है, जीवन हमें सिखाता रहता है चाहे हम इसे पसंद करें या न करें। जीवन में स्वीकृति और लचीलापन लाये, तो जीवन सरल और खुश बना रहेगा
सेवानिवृत्ति …
मैं अपने पिता की सेवानिवृत्ति के दिन 30 जून, 2022 को एक बहुत ही खास बनाना चाहता था, और मैं इसके लिए कुछ वर्षों से योजना बना रहा था। कोविड के समय में मुझे अपने पैतृक स्थान पर रहने और वहां घर से काम करने का मौका मिला। इसी दौरान हमने अपने घर का नवीनीकरण भी करवाया। नवीनीकरण की कहानी यहाँ देखे, की कैसे माता-पिता को इसे करने के लिए मनाने के लिए तकनीक का उपयोग कैसे किया। उस पुनर्निर्मित पैतृक घर में सेवानिवृत्ति कार्यक्रम की योजना बनाई गई थी। यह बहुत ही अच्छा प्रोग्राम रहा, सभी परिवार के लोग इसमें शामिल हुए।
वहीं सीख आगे भी काम आयी और मैंने अपने कार्यस्थल गुरुग्राम में एक नया घर बनाया। मैं यह लेख उसी नए घर से लिख रहा हूं। मैं इस नए घर को अपने पिता के कामकाजी जीवन को समर्पित करता हूं, और उनके आगे के एक सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
मैं जल्द ही कुछ कॉर्पोरेट सबक साझा करूंगा जो मैंने इस नए घर के निर्माण और विभिन्न क्षमता और कौशल के विभिन्न लोगों के साथ काम करते हुए सीखे हैं।
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